भाषा मोहब्बत की : कविता – अलका अग्रवाल सिगतिया

दोनों होंठ जब होते हैं स्पंदित,तभी तो उपजते हैं शब्दभावों को जब मिलता अभिव्यक्ति का संसारकायम होता, तभी तो संवाद।

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पूरा ऐतबार होते ही : कविता – अलका अग्रवाल सिगतिया

पहले कभी ऐतबार ना हुआ,चाहते हो मुझे इस क़दर टूटकर। ऐसा तो नहीं कि चाहा नहीं तुम्हेंकभी, तुम्हारी तरह डूबकर

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इबादत है तू मेरी : कविता – अलका अग्रवाल सिगतिया

जि़ंदगी नहीं ख़्वाब नहींफितरत है तू मेरी अक़ीदत नहीं हक़ीकत नहींआदत है तू मेरी रहबर मेरे जब था मेरे नालसमझ

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फेसबुक मे पहले की प्रेम कविता : कविता – अलका अग्रवाल सिगतिया

कई बार अनुरोध किया था तुमनेदे दूं, तुम्हें अपनी कोई तस्वीरताकि जब मैं साथ नहीं तुम्हारे,बातें कर सको, मेरी तस्वीर

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तू वी मिट्टी मैं वी मिट्टी – बाबा फरीद

बाबा फरीद ने क्या खूब कहा है – वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली,मिट्टी उत्ते मिट्टी डुली,मिट्टी हांसे, मिट्टी रोवे,अंत मिट्टी दा,

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मोहब्बत क्यूं जताते हो : कविता – अलका अग्रवाल सिगतिया

कहा तुमने करते हो बेपनाह मोहब्बत मुझसेमैंने मान लिया, करते हो बेपनाह मोहब्बत मुझसेजानते थे कि दुनिया का सबसे बड़ा

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जूते की अभिलाषा: हास्य कविता

चाह नही मैं विश्व सुंदरी के, पग में पहना जाऊँ। चाह नही शादी में चोरी हो, प्यारी साली को ललचाऊँ।

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रुके तो गए काम से!

पैदल चले जाएंगे अपनी मंज़िल को हमकोरोना से डरे अगर तो भूखे मरेंगे हम रोटी है बस अपनी सोच और

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