भाषा मोहब्बत की : कविता – अलका अग्रवाल सिगतिया
दोनों होंठ जब होते हैं स्पंदित,तभी तो उपजते हैं शब्दभावों को जब मिलता अभिव्यक्ति का संसारकायम होता, तभी तो संवाद।
Read moreदोनों होंठ जब होते हैं स्पंदित,तभी तो उपजते हैं शब्दभावों को जब मिलता अभिव्यक्ति का संसारकायम होता, तभी तो संवाद।
Read moreपहले कभी ऐतबार ना हुआ,चाहते हो मुझे इस क़दर टूटकर। ऐसा तो नहीं कि चाहा नहीं तुम्हेंकभी, तुम्हारी तरह डूबकर
Read moreजि़ंदगी नहीं ख़्वाब नहींफितरत है तू मेरी अक़ीदत नहीं हक़ीकत नहींआदत है तू मेरी रहबर मेरे जब था मेरे नालसमझ
Read moreकई बार अनुरोध किया था तुमनेदे दूं, तुम्हें अपनी कोई तस्वीरताकि जब मैं साथ नहीं तुम्हारे,बातें कर सको, मेरी तस्वीर
Read moreबाबा फरीद ने क्या खूब कहा है – वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली,मिट्टी उत्ते मिट्टी डुली,मिट्टी हांसे, मिट्टी रोवे,अंत मिट्टी दा,
Read moreकहा तुमने करते हो बेपनाह मोहब्बत मुझसेमैंने मान लिया, करते हो बेपनाह मोहब्बत मुझसेजानते थे कि दुनिया का सबसे बड़ा
Read moreचाह नही मैं विश्व सुंदरी के, पग में पहना जाऊँ। चाह नही शादी में चोरी हो, प्यारी साली को ललचाऊँ।
Read moreआगे सफर था और पीछे हमसफर थारुकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जातामंजिल की भी हसरत
Read morePhoto Courtesy: netaq.ae
Read moreपैदल चले जाएंगे अपनी मंज़िल को हमकोरोना से डरे अगर तो भूखे मरेंगे हम रोटी है बस अपनी सोच और
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