पांडेय जी बन गए प्रधानमंत्री: व्यंग्य – लालित्य ललित
हमारे यहाँ गाल बजाने की आदत है, जो बजा लेता है वह बाधाएं पार कर जाता है और जो नहीं
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Read moreसुधीजनों आज आप सब से एक जरूरी बात करनी है, पर उसकी भूमिका कुछ यूं बनती है। आप सब भी
Read moreउस रात मैं टीवी सीरियल महाभारत में कृष्ण -अर्जुन संवाद का एपीसोड देख सोया था। अचानक एक दिव्य वाणी सुनी,
Read moreहमारे पड़ोसी ने तरह तरह के कुत्ते पाल रखे हैं। फिल्म शोले में बसंती को कुत्ते के सामने नाचने से
Read moreबचपन में लुका-छिपी का खेल क्या खेल लिया, सारा जीवन ही तलाश में गुजर रहा है। किसी को नौकरी की
Read moreशहर में चोरियां बढ़ रही हैं। दुकानों के ताले और शटर टूट रहे हैं। छत से लेकर बाथरूम तक सेंधमारी
Read moreउस शाम अपनी खिड़की से उसने ऐसे देखा कि जैसे मैं कोई दृश्य हूँ जो थोड़ी देर बाद ओझल हो
Read moreदूर कोई बांसुरी बजा रहा है और चल रहा हूं मैं कांधे पर लटका थैला पुस्तकों से भरा है सामने
Read moreऐसे मौसम में हूं कि अपने हाथों से अपना चेहरा नहीं छू सकता मिलना दूभर है साथियों से क्या किसी
Read moreअरण्य है और सन्नाटे में कूक रही है कोयल पसरी है जब घोर स्तब्धता जब बचा ही नहीं कोई अर्थ
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