पांडेय जी बन गए प्रधानमंत्री: व्यंग्य – लालित्य ललित

हमारे यहाँ गाल बजाने की आदत है, जो बजा लेता है वह बाधाएं पार कर जाता है और जो नहीं

Read more

इच्छा मृत्यु ले लो – व्यंग्य: अलका अग्रवाल सिगतिया

सुधीजनों आज आप सब से एक जरूरी बात करनी है, पर उसकी भूमिका कुछ यूं बनती है। आप सब भी

Read more

कोरोनाकाल का नया शास्त्र–सार – व्यंग्य: डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा

उस रात मैं टीवी सीरियल महाभारत में कृष्ण -अर्जुन संवाद का एपीसोड देख सोया था। अचानक एक दिव्य वाणी सुनी,

Read more

पड़ोसी के कुत्ते – व्यंग्य: विवेक रंजन श्रीवास्तव

हमारे पड़ोसी ने तरह तरह के कुत्ते पाल रखे हैं। फिल्म शोले में बसंती को कुत्ते के सामने नाचने से

Read more

शर्म! तुम जहां कहीं भी हो लौट आओ, तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा – व्यंग्य: विवेक रंजन श्रीवास्तव

बचपन में लुका-छिपी का खेल क्या खेल लिया, सारा जीवन ही तलाश में गुजर रहा है। किसी को नौकरी की

Read more

आया अटरिया पे कोई चोर – व्यंग्य: कैलाश मंडलेकर

शहर में चोरियां बढ़ रही हैं। दुकानों के ताले और शटर टूट रहे हैं। छत से लेकर बाथरूम तक सेंधमारी

Read more

दृश्य विधान – कविता: मनोज शर्मा

उस शाम अपनी खिड़की से उसने ऐसे देखा कि जैसे मैं कोई दृश्य हूँ जो थोड़ी देर बाद ओझल हो

Read more

जब फूल खिलते हैं ढलान पर – कविता: मनोज शर्मा

दूर कोई बांसुरी बजा रहा है और चल रहा हूं मैं कांधे पर लटका थैला पुस्तकों से भरा है सामने

Read more

ऐसे समय में – कविता: मनोज शर्मा

ऐसे मौसम में हूं कि अपने हाथों से अपना चेहरा नहीं छू सकता मिलना दूभर है साथियों से क्या किसी

Read more

कुशल है कोयल – कविता: मनोज शर्मा

अरण्य है और सन्नाटे में कूक रही है कोयल पसरी है जब घोर स्तब्धता जब बचा ही नहीं कोई अर्थ

Read more