मुझको uncle कहने वाले, धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी…

उम्र पचास हुई है, शक्ल है लेकिन तीस के जैसी।

मुझको uncle कहने वाले, धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी।

बेटे के कॉलेज गया तो टीचर, देख के मुझ को मुस्कुराई।

बोली क्या मेंटेंड हो मिस्टर, पापा हो, पर लगते हो भाई।

क्या बतलाऊँ उसने फिर, बातें की मुझ से कैसी कैसी।

मुझको uncle कहने वालो, धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी।

जूली बोली, सेकंड हैंड हो, लेकिन फ़्रेश के भाव बिकोगे।

बस थोड़ी सी दाढ़ी बढ़ा लो, कार्तिक आर्यन जैसे दिखोगे।

अब भी बहुत जोश है तुम में, हालत नहीं है ऐसी वैसी।

मुझको uncle कहने वालो, धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी।

बीवी सोच रही है शौहर, मेरा कितना अच्छा है जी।

पढ़ती नहीं गुलज़ार साहेब को, दिल तो आख़िर बच्चा है जी।

नीयत मेरी साफ़ है यारो, हरकतें हैं कुछ ऐसी वैसी।

मुझको uncle कहने वालो, धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी।

कितने जंग लड़े और जीते हैं इन गुज़रे सालों में।

दो-एक झुर्रियाँ गालों में हैं, थोड़ी सफ़ेदी बालों में।

कंधे मगर मज़बूत हैं अब भी, कमर भी सॉलिड पहले जैसी।

मुझको uncle कहने वालो, धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी।

जीने का जज़्बा क़ायम हो तो, उम्र की गिनती फिर फ़िज़ूल है।

अपने शौक़ को ज़िंदा रखो, जीने का बस यही उसूल है।

ज़िंदादिली का नाम है जीवन, परिस्थितियाँ हों चाहे जैसी।

मुझको uncle कहने वालो, धत्त तुम्हारी ऐसी तैसी।

Dedicated to my 40 + + Friends

टिप्पणी:

अनाम कवि की रचना जो मार्च 2020 में वॉट्सएप पर खूब वाईरल हुई। यदि किसी सज्जन को इस रचना के असली रचनाकार का नाम पता हो तो हमें कमेंट बॉक्स में लिखें – संपादक

Photo Courtesy: netaq.ae

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