इबादत है तू मेरी : कविता – अलका अग्रवाल सिगतिया

जि़ंदगी नहीं ख़्वाब नहीं
फितरत है तू मेरी

अक़ीदत नहीं हक़ीकत नहीं
आदत है तू मेरी

रहबर मेरे जब था मेरे नाल
समझ सकी ना अहमियत तेरी

रुख़सत जबसे तू हुआ
महसूस हुई उल्फ़त तेरी

इंतज़ार की इंतिहां हुई
दे दे मुझको मुहब्बत तेरी

दिल पे अपने इख़्तियार नहीं
हुई ऐसी दीवानी मैं तेरी।

हुज़्न (1) इस बात का हरदम रहता
पहले क्यूं की इहानत(2) तेरी

नांदा थी देर से समझी
इख़्लास (3) इश्क़ को तेरे

महबूब सुन ले अब
इख़्तिलाज (4) मेरी

तेरे बिन बेचैनी सी रहती है
अहसास नहीं हक़ीकत बन जा

रूबरू आ जा मुशिर्द (5) मेरे
आ मिल जा मुतलक़ (6) मुझको

धड़कनों को धड़कने का ऐतिमाद (7) दे।
अपनी रोशनी से जहाँ मेरा मुनव्वर (8) कर दे।

दीवानी मुंतजि़र(9) मैं तेरी
मुनाजात (10) सुन ले तू मेरी

इनायत अपनी मुझपे कर दे
इश्क नहीं, मोहब्बत नहीं,
इबादत तू मेरी।

  1. हुज़्न – दु:ख 2. इहानत – अपमान 3. इख़्लास – निर्मल 4. इख़्तिलाज – दिल की धड़कन
  2. मुर्शिद – मित्र, प्रेमी, 6. मुतलक़ – संपूर्ण 7. ऐतिमाद – भरोसा 8. मुनव्वर – रोशन
  3. मुंतजिर – प्रतीक्षा करनेवाली 10. मुनाजात – प्रार्थना

-अलका अग्रवाल सिगतिया
कहानी, व्यंग्य, कविता तीनों विधाओं में लेखन।
‘मुर्दे इतिहास नहीं लिखते’ कहानी संग्रह महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के प्रथम पुरस्कार प्रेमचंद सम्मान से सम्मानित।
निरंतरा गोदरेज़ फिल्म फेस्टिवल में प्रथम।
फिल्म अदृश्य को राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड्स।
अनेकों पत्र पत्रिकाओं में लेख आदि प्रकाशित।फिल्म
टेलीविज़न धारावाहिकों व रेडियो के लिए लेखन।
अध्यक्ष राइटर्स व जर्नलिस्ट्स असोसिएशन महिला विंग मुंबई
निदेशक परसाईं मंच।
पुस्तकें – अदृश्य, मुर्दे इतिहास नहीं लिखते।
पुस्तकें संपादित – रंगक़लम, अप्रतिम भारत, मुंबई की हिन्दी कवयित्रियां आदि।
व्यंग्य संग्रह ‘मेरी-तेरी-उसकी भी’, कविता संग्रह ‘खिड़की एक नई सी’ प्रकाशनाधीन।
हरिशंकर परसाई पर लघु शोध प्रबंध। वर्तमान में शोध जारी।

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