जूते की अभिलाषा: हास्य कविता

चाह नही मैं विश्व सुंदरी के,

पग में पहना जाऊँ।

चाह नही शादी में चोरी हो,

प्यारी साली को ललचाऊँ।


Image Courtesy: pxhere.com

चाह नही बड़े मॉल में बैठूँ,

चाह नहीं सम्राटों के चरणो में,

हे हरि डाला जाऊँ।

भाग्य पर इठलाऊ।

मुझे पैक कर देना बढिया,

उसके मुंह पर देना फेंक।

जो आये थे वोट मांगने,

बेच रहे अब अपना देश।

(लेखक के बारे में बताना संभव नहीं क्योंकि यह हमें भी सोशल मीडिया पर मिली है। यदि किसी को लेखक / कवि के बारे में पता हो तो कमेंट बॉक्स में लिखें। उनका नाम प्रकाशित करके हमें आनंद मिलेगा। – संपादक)

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