उड़ जायेगा हंस अकेला – कबीर

उड़ जायेगा हंस अकेला
जग दर्शन का मेला।

जैसे पात गिरे तरुवर के
मिलना बहुत दुहेला
न जानु किधर गिरेगा
लगया पवन का रेला।

जब होवे उमर पूरी
जब छूटेगा हुकम हुजूरी
यम के दूत बड़े मजबूत
यम से पड़ा झमेला।

दास कबीर हर के गुण गावे
वा हर को परन पावे
गुरु की करनी गुरु जायेगा
चेले की करनी चेला।

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