अपने नज़दीकी पत्रकार पर भरोसा करना, तकलीफ़ में वही काम आयेगा
कोरोना में कई लोगों का रोना बाहर आ गया। लाख रूपैया की मुट्ठी खुल गई। नहीं सोचा था वो हो गया।
बड़ी-बड़ी बातें करने वाले गायब हो गये। क्या हुया ऐसा?
समाज के कई झूठे दिलासे देने वाले, देश को नुक़सान करने वाले महाबलियों को देश के पत्रकारों ने आईना दिखा दिया। ख़ुद की, परिवार की, जान-माल की परवाह किये बिना जान जोखिम में डाल कर देश की 130 करोड़ जनता का हित सोचने वाले पत्रकार को जितना आप अपना समझेंगे, उतना ही वो देश सेवा में आगे रहेगा।
देश का नुक़सान करने वाले महाबलियों और उद्योपतियों का भी काला चिट्ठा खोलने में पत्रकार देर नहीं लगाते हैं। आज ऐसे दौर से पत्रकार गुज़र रहे हैं, जो हम कभी सोच भी नहीं सकते। कुछ बिकाऊ लोग, जो पत्रकारिता में आकर पत्रकारों को बदनाम कर रहे हैं। ऐसे गोदी मीडिया के पत्रकार नहीं कहा जा सकता है। वे तो मार्केटिंग करने वाले लोग हैं। सही लोगों की मार्केटिंग करेंगे तो समाज में सही संदेश जाता है।
आज माँ सरस्वती की अनमोल कृपा है कि हमें क़लमकार बनने का सुंदर सुअवसर मिला है। देश में हम पत्रकारों को अनमोल मान-सम्मान मिलता है। हम पत्रकार भी अपना फ़र्ज़ निभा रहे है।
आपके कई दोस्त होंगे लेकिन पत्रकारों से दूर भागने या डरने वाले, दोस्ती का एक हाथ पत्रकारों की तरफ़ बढ़ा कर तो देखिए। जब आप हर जगह हार जाएंगे, तब आप एक पत्रकार के पास जाकर अपनी भावना या तकलीफ़ बताना। उसके बाद जो परिणाम आएगा, वो आप ज़िंदगी भर नहीं भूलेंगे। आप ख़ुद से कहोंगे कि पत्रकार जैसा कोई नहीं।
जीवन में पुलिस, नेता, डॉक्टर, समाजसेवी की तरह ही एक पत्रकार भी दोस्त रखना।
कोरोना महामारी में जान जोखिम में डाल कर सकारात्मक पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों को सलाम है। आप जिस इलाके में रहते हैं, वहां के पत्रकार को कभी मत भूलना। आपकी तकलीफ़ में आपके साथ वो ही खड़ा नज़र आयेगा।
आज कुछ पत्रकार दैनिक अखबारो में काम करते करते चैनल के बड़े-बड़े पद पर हैं। कब – कौन – कहां पहुँच जाता है कोई सीमा नहीं है।
मेरी एक बात लेकिन ध्यान रखना… आपके नज़दीकी पत्रकार पर भरोसा करना। तकलीफ़ में वही काम आयेगा, जो आपके गली का है। आपकी कितनी भी पहचान बड़े-बड़े पत्रकारों से होगी लेकिन सबसे नज़दीक का पत्रकार पहले काम आयेगा।
पत्रकार तो पत्रकार होता है, छोटा-बड़ा कोई नहीं है। भारत सरकार ने जिनको आरएनआई सर्टिफ़िकेट दिया है, उनमें कोई भेदभाव नहीं रखा है। सभी का हित सोचने वाले, सभी माँ सरस्वती भक्तों को नमन कर, सभी जीव सुखी रहें, यही भावना रखता हूं।
– हार्दिक हुँड़िया
लेखक मुंबई से प्रकाशित पत्रिका हीरा माणेक के संस्थापक संपादक व प्रकाशक हैं।
टिप्पणी: हार्दिक हुंडिया का यह सार्वजनिक पत्र फेसबुक और व्हाट्सएप पर खूब वाईरल हुआ। सबके लिए यह यहां पेश है। – संपादक