हम अलग हैं तुम अलग हो : कविता – संध्या रियाज़

अलग अलग मंदिर मस्जिद हैं
अलग अलग हैं पहनावे
अलग अलग अपनी बोली हैं
अलग अलग है पूजा की रीत

कुंए अलग बांटे हैं हमने
रिश्तों को हमने बांट दिया
दिल पे पत्थर रख रख के
पत्थर पत्थर पूजा हमने

तेरे भगवान मेरे दुश्मन
मेरे भगवान मठाधीश
उसने जन्मे पुरुष और नारी
हमने मढ़ दी ऊंच नीच

कब तक खेला खेलोगे
बांट बांट के जीने का
मरके सब इक हो जाएंगे
फिर सबके होंगे राम रहीम

डरा करो इस कुदरत से
खून को जल में न बदलो
कुदरत जो बनी हैवान कभी
मिटके मिट्टी बन जाओगे

न मंदिर न शिवाला होगा
न साधू न पीर फ़कीर
भूले जो सच्ची मानवता
दाता भूलेगा हम सबकी पीर

संध्या रियाज़ कवयित्री व लेखिका हैं।
संप्रति: आईडिएशन एंड डेवलमेंट हेड, क्रिएटिव आई लि.
संपर्क: 09821893069, sandhya.riaz@gmail.com
पूरे परिचय हेतु क्लिक करें – https://www.anoothaindia.com/profile-sandhya-riyaz/


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *