किरदार : कविता – संध्या रियाज़
बुलंदी छूना तो छूना
छू के लौट आना तुम
आसमान से टूटे तारे
अक्सर गुम हो जाते हैं।
उड़ना भला लगता है
परिंदों का बस यहां
पंख मिल जाये तब भी
ज़मी से तुम जुड़े रहना।
वक़्त बताता है दिन रात
पहर दो पहर मगर
वक़्त वो बेहतर है
जो तेरा किरदार न बदले।
संध्या रियाज़ कवयित्री व लेखिका हैं।
संप्रति: आईडिएशन एंड डेवलमेंट हेड, क्रिएटिव आई लि.
संपर्क: 09821893069, sandhya.riaz@gmail.com
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