पांडेय जी बन गए प्रधानमंत्री: व्यंग्य – लालित्य ललित

हमारे यहाँ गाल बजाने की आदत है, जो बजा लेता है वह बाधाएं पार कर जाता है और जो नहीं

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इच्छा मृत्यु ले लो – व्यंग्य: अलका अग्रवाल सिगतिया

सुधीजनों आज आप सब से एक जरूरी बात करनी है, पर उसकी भूमिका कुछ यूं बनती है। आप सब भी

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कोरोनाकाल का नया शास्त्र–सार – व्यंग्य: डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा

उस रात मैं टीवी सीरियल महाभारत में कृष्ण -अर्जुन संवाद का एपीसोड देख सोया था। अचानक एक दिव्य वाणी सुनी,

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पड़ोसी के कुत्ते – व्यंग्य: विवेक रंजन श्रीवास्तव

हमारे पड़ोसी ने तरह तरह के कुत्ते पाल रखे हैं। फिल्म शोले में बसंती को कुत्ते के सामने नाचने से

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शर्म! तुम जहां कहीं भी हो लौट आओ, तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा – व्यंग्य: विवेक रंजन श्रीवास्तव

बचपन में लुका-छिपी का खेल क्या खेल लिया, सारा जीवन ही तलाश में गुजर रहा है। किसी को नौकरी की

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आया अटरिया पे कोई चोर – व्यंग्य: कैलाश मंडलेकर

शहर में चोरियां बढ़ रही हैं। दुकानों के ताले और शटर टूट रहे हैं। छत से लेकर बाथरूम तक सेंधमारी

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