महात्मा गांधी के विचार: धर्म

भारत के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनीतिज्ञ व समाजसेवी। जाति-प्रथा के घोर विरोधी। साहसी और स्पष्टवादी व्यक्तित्व। भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ किया। महात्मा गांधी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ। सत्य व अहिंसा की बदौलत भारत की आज़ादी का लंबा युद्ध लड़ा। पूरे संसार में उनकी शांति का विचार विस्तारित हुआ। वे सच्चे देशभक्त, लेखक, महान वक्ता, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, वकील और पत्रकार रहे हैं। पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया। देश हित में गोली खाकर प्राण भी गवांए।

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  • अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है।
  • अहिंसात्मक युद्ध में अगर थोड़े भी मर मिटने वाले लड़के मिलेंगे, तो वे करोड़ों की लाज रखेंगे और उनमें प्राण फूकेंगे।
  • जब आपका सामना किसी विरोधी से हो, तो उसे प्रेम से जीतें, अहिंसा से जीते।

निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।

  • सच्‍ची अहिंसा मृत्‍यु शय्या पर भी मुस्‍कराती रहेगी।
  • अहिंसा ही वह एकमात्र शक्ति है, जिससे हम शत्रु को अपना मित्र बना सकते हैं, और उसके प्रेमपात्र बन सकते हैं।
  • ईश्वर न तो काबा में है और न ही काशी में है, वह तो हर घर-घर में व्याप्त है, हर दिल में मौजूद है।
  • चिंता से अधिक कुछ और शरीर को इतना बर्बाद नहीं करता, और वह जिसे ईश्वर में थोड़ा भी यकीन है उसे किसी भी चीज के बारे में चिंता करने पर शर्मिंदा होना चाहिए।

जिस मनुष्य को अपने मनुष्यत्व का भान है, उसे ईश्वर के सिवाय और किसी से भय नहीं लगता।

  • यदि अपने उद्देश्य और साधन तथा ईश्वर में आस्था है तो सूर्य की तपिश भी शीतलता प्रदान करेगी।
  • श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास। आत्मविश्वास का अर्थ है ईश्वर में विश्वास।
  • भगवान का कोई धर्म नहीं है।
  • भगवान ने मनुष्य को अपने ही समान बनाया, लेकिन दुर्भाग्यवश इन्सान ने भगवान को अपने जैसा बना डाला।
  • प्रार्थना, नम्रता की पुकार है, आत्म शुद्धि का, और आत्म-अवलोकन का आवाहन है।

प्रार्थना माँगना नहीं है। यह आत्मा की लालसा है। यह हर रोज अपनी कमजोरियों की स्वीकारोक्ति है।

  • प्रार्थना में बिना वचनों के मन लगाना, वचन होते हुए मन ना लगाने से बेहतर है।
  • प्रार्थना या भजन जीभ से नहीं, ह्रदय से होता है। इसी से गूंगे, तोतले और मूढ भी प्रार्थना कर सकते है।
  • प्रार्थना सुबह की चाबी है और शाम की रौशनी।

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