महात्मा गांधी के महान विचार

भारत के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनीतिज्ञ व समाजसेवी। जाति-प्रथा के घोर विरोधी। साहसी और स्पष्टवादी व्यक्तित्व। भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ किया। महात्मा गांधी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ। सत्य व अहिंसा की बदौलत भारत की आज़ादी का लंबा युद्ध लड़ा। पूरे संसार में उनकी शांति का विचार विस्तारित हुआ। वे सच्चे देशभक्त, लेखक, महान वक्ता, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, वकील और पत्रकार रहे हैं। पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया। देश हित में गोली खाकर प्राण भी गवांए।

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  • अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के सामान है, जो धरातल की सतह को चमकदार और साफ़ कर देती है।
  • अपनी बुद्धिमत्ता पर बेहद निश्चिंत होना बुद्धिमानी नहीं है। याद रखें कि ताकतवर भी कमजोर हो सकता है, और बुद्धिमान से भी बुद्धिमान गलती कर सकता है।
  • अपने दोष हम देखना नहीं चाहते, दूसरों के देखने में मजा आता है। बहुत सारे दु:ख तो इसी आदत से पैदा होते हैं।
  • आप कभी भी यह नहीं समझ सकेंगे की आपके लिए कौन महत्त्वपूर्ण है, जब तक की आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देंगे।
  • आप तब तक यह नहीं समझ पाते की आपके लिए कौन महत्त्वपूर्ण है जब तक आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देते।

आप मानवता में विश्वास मत खोइए। मानवता सागर की तरह है। सागर की अगर कुछ बूँदें गंदी है, तो सागर गंदा नहीं हो जाता।

  • आप मुझे जंजीरों में जकड़ सकते हैं, यातना दे सकते हैं, यहाँ तक की आप इस शरीर को नष्ट कर सकते हैं, लेकिन आप कभी मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते।
  • इंसान हमेशा वो बन जाता है जो वो होने में वो यकीन करता है। मैं अगर खुद से यह कहता रहूँ कि मैं यह चीज नहीं कर सकता, तो संभव है कि मैं सचमुच वो करने में असमर्थ हो जाऊं। इसके विपरीत मैं अगर यकीन करूँ कि मैं ये कर सकता हूँ, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा लूँगा, फिर भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता न रही हो।
  • एक देश की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से आँका जा सकता है कि वहाँ जानवरों से कैसा व्यवहार किया जाता है।
  • किसी भी स्वाभिमानी व्यक्ति के लिए सोने की बेडियां, लोहे की बेडियों से कम कठोर नहीं होती है। चुभन धातु में नहीं वरन बेडियों में ही होती है।
  • केवल प्रसन्नता ही एकमात्र इत्र है, जिसे आप दुसरे पर छिड़के तो उसकी कुछ बुँदे अवश्य ही आप पर भी पड़ती है।

  • क्रोध एक प्रचंड अग्नि है, जो मनुष्य इस अग्नि को वश में कर सकता है, वह उसको बुझा देगा। जो मनुष्य इस अग्नि को वश में नहीं कर सकता वह स्‍वयं ही अपने आप को उस अग्नि में जला लेगा।

गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती है। वह तो केवल अपनी ख़ुशी बिखेरता है। उसकी खुशबु ही उसका संदेश है।

  • जब कोई युवक विवाह के लिए दहेज की शर्त रखता है तब वह न केवल अपनी शिक्षा और अपने देश को बदनाम करता है बल्कि स्त्री जाति का भी अपमान करता है।
  • जिनमे नम्रता नहीं आती, वे विधा का पूरा सदुपयोग नहीं कर सकते। नम्रता का अर्थ है अहंभाव का आत्यंतिक क्षय।
  • जियो इस तरह से जैसे कि तुम कल मरने वाले हो और सीखों इस तरह से जैसे कि तुम हमेंशा ही जीने वाले हो।
  • ताकत दो तरह की होती है। एक किसी को डरा कर मिली हुई और दूसरी किसी को प्यार देकर मिली हुई। प्यार देकर मिली ताकत, डरा कर मिली हुई ताकत की तुलना में कई गुना अधिक होती है।
  • दुनिया में ऐसे भी कई लोग हैं, जो इतने भूखे हैं कि भगवान उन्‍हें रोटी के अलावा और किसी रूप में नहीं दिख सकता है।
  • निरंतर विकास, जीवन का नियम है, और जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने के लिए हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है वो खुद को गलत स्थिति में पंहुचा देता है।

पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हसेंगे, फिर वो आपसे लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे।

  • पाप करने का अर्थ यह नहीं कि जब वह आचरण में आ जाए, तब ही उसकी गिनती पाप में हुई। पाप तो जब हमारी दृष्टि में आ गया, विचार में आ गया, तो वह हमसे हो गयौ
  • पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है। किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी।
  • पूर्ण धारणा के साथ बोला गया नहीं सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए हाँ से बेहतर है।
  • प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमें सबसे नम्र है।

  • भविष्य में क्या होगा, मै यह नहीं सोचना चाहता। मुझे वर्तमान की चिंता है। ईश्वर ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।
  • मृत, अनाथ, और बेघर को इससे क्या फर्क पड़ता है कि यह तबाही सर्वाधिकार या स्वतंत्रता या लोकतंत्र के पवित्र नाम पर लायी जाती है।
  • आपकी मान्यताएं, आपके विचार बन जाते हैं। आपके विचार ही, आपके शब्द बन जाते हैं। आपके शब्द ही, आपके कार्य बन जाते हैं। आपके कार्य ही, आपकी आदत बन जाते हैं। आपकी आदतें ही, आपके मूल्य बन जाते हैं। आपके मूल्य ही, आपकी नियति बन जाती है।

मै हिंदी के जरिये प्रांतीय भाषाओं को दबाना नहीं चाहता, किन्तु उनके साथ हिंदी को भी मिला देना चाहता हूँ।

  • मैं तुम्हे शांति का प्रस्ताव देता हूँ। मैं तुम्हे प्रेम का प्रस्ताव देता हूँ। मैं तुम्हारी सुन्दरता देखता हूँ। मैं तुम्हारी आवश्यकता सुनता हूँ। मैं तुम्हारी भावना महसूस करता हूँ।
  • मैं हिंसा का विरोध करता हूँ क्योंकि जब ऐसा लगता है कि वो अच्छा कर रही है तब वो अच्छाई अस्थायी होती है, और वो जो बुराई करती है वो स्थायी होती है।
  • मौन रहना सर्वोत्‍तम भाषण है। अगर बोलना ही है तो कम से कम बोलो। एक शब्द से काम चल जाए, तो दो शब्‍द बोलने की आवश्‍यकता नहीं है।
  • ये मेरा देश है, ये तेरा देश है। यह केवल संकीर्ण मानसिकता वाले लोगों की सोच है वर्ना उदार आत्‍माओं के लिए तो पूरी दुनिया ही एक परिवार है।
  • शक्ति दो प्रकार की होती है। एक दंड के डर पैदा होती है और दूसरी प्रेम भरे कार्यो से, लेकिन प्रेम पर आधारित शक्ति, सजा के डर से उत्‍पन्‍न शक्ति से एक हजार गुना अधिक प्रभावी और स्‍थाई होती है।
  • शायद सचमुच में वो करने में असमर्थ हो जाऊं। और इसके विपरीत अगर मैं यह यकीन करूँ कि मैं ये कर सकता हूँ, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा ही लूँगा, फिर भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता ना रही हो।

शारीरिक उपवास के साथ-साथ मन का उपवास न हो तो वह दम्भपूर्ण और हानिकारक हो सकता है।

  • संपूर्ण विश्व का इतिहास उन व्यक्तियों के उदाहरणों से भरा पडा है जो अपने आत्म-विश्वास, साहस तथा दृढता की शक्ति से नेतृत्व के शिखर पर पहुँचे हैं।
  • समाज में से धर्म को निकाल फेंकने का प्रयत्न बांझ के पुत्र करने जितना ही निष्फल है और अगर कहीं सफल हो जाय तो समाज का उसमें नाश होता है।
  • सही और गलत के मध्य भेद करने की क्षमता ही है जो हम सभी को पशु से भिन्न करती है। यह एकमात्र वस्तु, हम सभी में समान रूप से विद्यमान है।
  • सात बड़े पाप: काम के बिना धन, त्याग के बिना पूजा; मानवता के बिना विज्ञान; अंतरात्मा के बिना सुख, नैतिकता के बिना व्यापार, चरित्र के बिना ज्ञान; सिद्धांत के बिना राजनीति।

हम जो दुनिया के जंगलों के साथ कर रहे हैं वो कुछ और नहीं बस उस चीज का प्रतिबिम्ब है जो हम अपने साथ और एक दूसरे के साथ कर रहे हैं।

  • हमें सदा यह ध्‍यान रखना चाहिए कि शक्तिशाली से शक्तिशाली मनुष्‍य भी एक दिन कमजोर होता है।
  • हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म के पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखें। हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने का लक्ष्य रखें और सब कुछ ठीक हो जायेगा।
  • हो सकता है आप कभी ना जान सकें कि आपके काम का क्या परिणाम हुआ, लेकिन यदि आप कुछ करोगे ही नहीं तो कोई परिणाम भी नहीं होगा।

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