दिल्ली कूच – किसान आंदोलन का तराना – विवेक अग्रवाल

खूंटी पर लटका संविधान,
बचाना होगा हर इंसान,
अब तो होगा दिल्ली कूच… दिल्ली कूच…

जिसको समझा पानी ठहरा,
तोड़ के निकलेगा चट्टान,
अब तो होगा दिल्ली कूच… दिल्ली कूच…

डंडों से हमले करता है जवान,
सड़कों पर छाया है किसान,
अब तो होगा दिल्ली कूच… दिल्ली कूच…

हाकिम से आए मौत का फरमान,
फिर भी डरने वाला नहीं किसान,
अब तो होगा दिल्ली कूच… दिल्ली कूच…

ठग बाजारों से कमाए परधान,
भूखों मरता है मेरा किसान,
अब तो होगा दिल्ली कूच… दिल्ली कूच…

बेटा सरहद पे, खेतों में खुद बोता है जो धान,
तानाशाहों पर ही वो, भारी पड़ता है किसान,
अब तो होगा दिल्ली कूच… दिल्ली कूच…

जग को जालिम करता है मसान,
फिर भी लोहा लेता है किसान,
अब तो होगा दिल्ली कूच… दिल्ली कूच…

यलगार उठी, कर डाला है ऐलान,
दो-दो हाथ करने आया है किसान,
अब तो होगा दिल्ली कूच… दिल्ली कूच…

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