डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचार
भारत के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनीतिज्ञ व समाजसेवी। जाति-प्रथा के घोर विरोधी। साहसी और स्पष्टवादी व्यक्तित्व। भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जन्म 23 मार्च 1910, अकबरपुर, उत्तरप्रदेश में। मृत्यु में 12 अक्तूबर 1967 को नई दिल्ली में।
डॉ. राम मनोहर लोहिया के क्रांतिकारी विचार
- त्याग हमेशा शांतिदायक और संतोषप्रद होता है।
- लोगों के छोटे समूहों को शक्ति देकर, प्रथम श्रेणी का लोकतंत्र संभव है।
- जाति प्रथा के खिलाफ विद्रोह से ही देश में जागृति आयेगी।
- बिना काम के सत्याग्रह, क्रिया के बिना एक वाक्य की तरह है।
- मार्क्सवाद एशिया के खिलाफ यूरोप का अंतिम हथियार है।
ज़िन्दा कौमें सरकार बदलने के लिए पांच साल तक इंतज़ार नहीं करतीं।
- इस देश की स्त्रियों का आदर्श सीता सावित्री नहीं, द्रौपदी होनी चाहिए।
- अंग्रेजों ने बंदूक की गोली और अंग्रेजी की बोली से हमपर राज किया।
- अंग्रेजी का इतना दबदबा कहीं नहीं है, इसीलिए भारत आजाद होते हुए भी गुलाम है।
भारतीय नारी द्रौपदी जैसी हो, जिसने कि कभी भी किसी पुरुष से दिमागी हार नहीं खाई।
- भारत में कौन राज करेगा ये तीन चीजों से तय होता है. उंची जाति, धन और ज्ञान. जिनके पास इनमे से कोई दो चीजें होती हैं वह शासन कर सकता है।
- जाति तोड़ने का सबसे अच्छा उपाय है, कथित उच्च और निम्न जातियों के बीच रोटी और बेटी का संबंध।
- ज्ञान और दर्शन से सब काम नहीं होता. ज्ञान और आदत, दोनों को ही सुधारने से मनुष्य सुधरता है।
- बड़बड़ बोलने वाले क्रांति नहीं कर सकते, ज्यादा काम भी नहीं कर सकते। तेजस्विता की जरूरत है, बकवास की नहीं।
नारी को गठरी के समान नहीं बल्कि इतना शक्तिशाली होना चाहिए कि वक्त पर पुरुष को गठरी बना साथ ले चले।
- सामाजिक परिवर्तन के बड़े काम जब प्रारंभ होते हैं, तो समाज के कुछ लोग आवेश में आकर इसका घोर विरोध करते हैं।
- मर्यादा केवल न करने की नहीं होती है, करने की भी होती है। बुरे की लकीर मत लांघो, लेकिन अच्छे की लकीर तक चहल-पहल होनी चाहिए।
आधुनिक अर्थव्यवस्था के जरिए गरीबी दूर करने के साथ, ये अलगाव (जाति के) अपने-आप गायब हो जाएंगे।
- जात-पात भारतीय जीवन की सबसे सशक्त प्रथा रही है, यहाँ जीवन जाति की सीमाओं के भीतर ही चलता है।
- हमें समृद्धि बढ़ानी है, कृषि विस्तार करना है, कारखानों की संख्या अधिक करनी है लेकिन हमें सामूहिक संपत्ति बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए। हम अगर निजी संपति के प्रति प्रेम ख़त्म करने का प्रयास करें, तो शायद भारत में हम एक नए समाजवाद की स्थापना कर पाएं।
- यदि हमारी कृषि मैकेनाइज़्ड कर दें, तो 8 करोड़ किसानों को शहरों में जाना पड़ेगा।
- अर्थव्यवस्था में माध्यम के तौर पर अंग्रेजी का प्रयोग काम की उत्पादकता घटाता है। शिक्षा में सीखने को कम करता है, रिसर्च लगभग ख़त्म कर देता है, प्रशासनिक क्षमता घटाता है, असमानता तथा भ्रष्टाचार बढ़ाता है।
- भारत बड़े पैमाने पर अगर टेक्नोलॉजी का प्रयोग करता है, तो करोड़ों लोगों को ख़त्म करने की आवश्यकता पड़ेगी।
- अंग्रेजी अल्पसंख्यक शासन और शोषण का एक साधन है, जिसका प्रयोग 40 या 50 लाख अल्पसंख्यक रूलिंग क्लास इंडियंस 40 करोड़ से अधिक लोगों पर अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए प्रयोग कर रहे हैं।
- अपने आर्थिक उद्देश्य में, पूंजीवाद बड़े पैमाने पर उत्पादन, कम लागत और मालिकों को लाभ पहुंचाना चाहता है।
- मिडिल स्कूल तक शिक्षा मुफ्त और अनिवार्य होनी चाहिए और उच्च स्तर पर शैक्षिक सुविधाएं मुफ्त या सस्ते में उपलब्ध करनी चाहिए, खासतौर से अनुसूचित जाति, जनजाति और समाज के अन्य गरीब वर्गों को। उन्हें मुफ्त या सस्ती आवासीय सुविधाएं भी उपलब्ध करानी चाहिए।
- जाति अवसर को सीमित करती है। सीमित अवसर क्षमता को संकुचित करता है। संकुचित क्षमता अवसर को और भी सीमित कर देती है। जहाँ जाति का प्रचलन है, वहां अवसर और क्षमता हमेशा से सिकुड़ रहे कुछ लोगों के दायरे तक सीमित है।
- अंग्रेजी का प्रयोग मौलिक सोच में अवरोध है, हीनता की भावनाओं का जनक है और शिक्षित व अशिक्षित जनता के बीच की दूरी है। आइए, हम हिंदी की असली प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने के लिए संगठित हो जाएं।
भारत में असमानता सिर्फ आर्थिक नहीं है; यह सामाजिक भी है।
- यदि समाजवादी सरकार बल प्रयोग करे, जिसके कारण कुछ लोगों की मौत हो जाए तो उसे शासन करने का कोई अधिकार नहीं है।
Quotes Dr. Ram Manohar Lohiya Quotes
डॉ. राम मनोहर लोहिया के आर्थिक विचार
डॉ. राम मनोहर लोहिया के सामाजिक विचार
डॉ. राम मनोहर लोहिया के लोकतंत्र पर विचार
बहुत ही अच्छी जानकारी है. कृपया ऐसी और भी जानकारियां उपलब्ध करवाएं.
डॉ राम मनोहर लोहिया के विचार पढ़कर बहुत अच्छा लगा.
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