पांडेय जी बन गए प्रधानमंत्री: व्यंग्य – लालित्य ललित

हमारे यहाँ गाल बजाने की आदत है, जो बजा लेता है वह बाधाएं पार कर जाता है और जो नहीं

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भाषा मोहब्बत की : कविता – अलका अग्रवाल सिगतिया

दोनों होंठ जब होते हैं स्पंदित,तभी तो उपजते हैं शब्दभावों को जब मिलता अभिव्यक्ति का संसारकायम होता, तभी तो संवाद।

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पूरा ऐतबार होते ही : कविता – अलका अग्रवाल सिगतिया

पहले कभी ऐतबार ना हुआ,चाहते हो मुझे इस क़दर टूटकर। ऐसा तो नहीं कि चाहा नहीं तुम्हेंकभी, तुम्हारी तरह डूबकर

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इच्छा मृत्यु ले लो – व्यंग्य: अलका अग्रवाल सिगतिया

सुधीजनों आज आप सब से एक जरूरी बात करनी है, पर उसकी भूमिका कुछ यूं बनती है। आप सब भी

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कोरोनाकाल का नया शास्त्र–सार – व्यंग्य: डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा

उस रात मैं टीवी सीरियल महाभारत में कृष्ण -अर्जुन संवाद का एपीसोड देख सोया था। अचानक एक दिव्य वाणी सुनी,

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