स्वामी विवेकानंद की ललकार: पाखंडी पुरोहितों को ठोकरें मार कर निकाल दो
मेरी केवल यह इच्छा है कि प्रतिवर्ष यथेष्ठ संख्या में हमारे नवयुवकों को चीन जापान में आना चाहिए। जापानी लोगों
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Read moreअंत में प्रेम की ही विजय होती है। आपस में न लड़ो। रुपये-पैसे के व्यवहार में शुध्द भाव रखो। हम
Read moreआध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बना रहना अवांछनीय है। उससे बाहर निकल कर स्वाधीनता की मुक्त
Read more‘साहसी’ शब्द और उससे अधिक ‘साहसी’ कर्मों की हमें आवश्यकता है। उठो! उठो! संसार दुःख से जल रहा है। क्या
Read moreइस तरह का दिन क्या कभी होगा कि परोपकार के लिए जान जायेगी? दुनिया बच्चों का खिलवाड नहीं है। बड़ा
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